Sahri Khane Ki Dua | Roze Ki Niyat
सहरी खाने की दुआ, रोज़ा रखने की नियत
जैसा कि रोज़े की शुरुआत सुबहे सादिक से होती है और इस से पहले सहरी का खाना खाया जाता है जो कि सुन्नत है, हमारे नबी स.अ. ने अपने उम्मत को सहरी के खाने में बड़ी ताकीद फरमाई है |
हदीस : हज़रत अनस र.अ. से रिवायत है कि रसूलुल लाह स.अ. ने इरशाद फ़रमाया सहरी खाया करो क्यूंकि सहरी खाने में बरकत है ( बुखारी, मुस्लिम )
क्या सहरी खाए बगैर रोज़ा रखना सही है ?
रोज़े के लिए सहरी खाना बाबरकत है इस से दिन भर ताक़त बनी रहती है, लेकिन रोज़े के सही होने के लिए ये ज़रूरी नहीं है इसलिए अगर आप को सहरी खाने का मौक़ा नहीं मिल पाया और सहरी खाए बगैर रोज़ा रख लिया तो भी रोज़ा सही होगा |
अज़ान के बाद कुछ खा लिया तो क्या मेरा रोज़ा होगा ?
देखिये ! सहरी ख़त्म का ताल्लुक़ वक़्त से है अज़ान से नहीं, इस लिए सहरी ख़त्म से पहले अज़ान हुई है तो आप खा पी सकते हैं लेकिन अज़ान सहरी ख़त्म के बाद हुई है तो आप खा नहीं सकते |
सहरी का टाइम कब ख़त्म होता है ?
सहरी ख़त्म सुबहे सादिक के वक़्त होती है ( कैलेण्डर में जो सहरी ख़त्म का टाइम होता है वही सुबहे सादिक का वक़्त है ) इसलिए आप एक कैलेण्डर रख लें उस में जो सहरी ख़त्म का टाइम हो उसी पर अमल करें |
अगर किसी की आँख खुली देखा कि अज़ान हो रही है सहरी का टाइम ख़त्म हो गया तो वो रोज़ा कैसे रखे ?
ऐसे हाल में बगैर कुछ खाए पिए सहरी की नियत कर लेनी चाहिए
Roze Ki Niyat | रोज़े की नियत कैसे करें ?
रमज़ान के रोज़े की नियत के लिए इतना काफी है कि दिल में ही सोच ले कि आज मेरा रोज़ा है या रात को ही नियत कर ले कि रोज़ा रखना है क्यूंकि नियत अस्ल में दिल के इरादे का नाम है ज़ुबान से कहना ज़रूरी नहीं लेकिन अगर कह ले तो भी कोई हर्ज नहीं है |
नियत करने की दुआ
Dua In Hindi : बिसौमि गदिन नवैतु मिन शहरि रमज़ान
Translation : मैं रमज़ान के इस रोज़े की नियत करता हूँ
रमज़ानुल मुबारक के रोज़े की नियत कब करनी चाहिए ?
बेहतर है कि रोज़े की नियत सुबहे सादिक से पहले यानि सहरी के ख़त्म से पहले ही कर लेनी चाहिए
अगर सहरी ख़त्म से पहले रोज़े का इरादा नहीं था सहरी ख़त्म के बाद इरादा हुआ तो क्या रोज़ा रख सकते हैं
अगर आप ने कुछ खाया पिया नहीं है तो निस्फुन नहार से पहले नियत कर लें तो रोज़ा सही होगा
निस्फुन नहार : यानि रोज़े का आधा हिस्सा जैसे कि आपका रोज़ा 12 घंटे का है तो इसका आधा 6 हुआ तो यही 6 घंटों के वक़्त को निस्फुन नहार कहते हैं यानि 6 घंटों से पहले ही नियत करनी है, अगर रोज़ा 14 घंटे का है तो इसका आधा 7 हुआ तो इन सात घंटों से पहले आप नियत करें |
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