Salatut Tasbih Namaz ka Tariqa | सलातुत तस्बीह नमाज़ का तरीक़ा
सलातुत तस्बीह ( Salatut Tasbih ) एक नफ्ल नमाज़ है जिसको बंदा अल्लाह से मजीद क़रीब होने के लिए पढता है और इस के ज़रिये दोनों जहानों में अल्लाह की रहमत का तलबगार होता है |
सलातुत तस्बीह की फज़ीलत
हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :
“मेरे चचा! क्या मैं आपको एक अतिया न करूं? क्या मैं एक तोहफा और हादिया न पेश करूं? क्या मैं आपको ऐसा अमल न बताऊँ कि जब आप इसको करेंगे तो आपको दस फायदे हासिल होंगे यानि अल्लाह तआला आपके अगले, पिछले, पुराने, नए, गलती से और जान बुझ कर किये हुये, छोटे, बड़े छुप कर और खुल्लम खुल्ला किये हुए सब गुनाह माफ़ कर देंगे । वो अमल ये है कि आप 4 रकात (सलातुत तस्बीह) पढ़ें |
इस को सलातुत तस्बीह क्यूँ कहते हैं
तो ये जान लीजिये कि सलात के मानी नमाज़ के होते हैं
और तस्बीह का मतलब ये है कि इस नमाज़ में एक ख़ास तस्बीह 300 बार पढ़ी जाती है जो कि और दूसरी नमाज़ों में नहीं होती इसलिए इस ख़ास तस्बीह की वजह से इसको सलातुत तस्बीह कहते हैं यानि तस्बीह वाली नमाज़ |
इस नमाज़ को हम step By Step बताएँगे ताकि अच्छी तरह सभी लोग़ समझ सकें
पहली रकात
1. सब से पहले आप नमाज़ के लिए खड़े होकर नियत करें
और अगर दिल में ही नियत कर ले तो ही काफी है लेकिन जुबान से कह लेना मुस्तहब है
आप कहें “ नियत करता हूँ मैं चार रकात नफ्ल नमाज़ सलातुत तस्बीह वास्ते अल्लाह के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
2. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथों को बाँध लें
3. फिर सना पढेंगे
“सुब हानकल लहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुका व तआला जद दुका वला इलाहा गयरुक”
फिर इसके बाद इस तस्बीह को 15 बार पढना है
4. फिर पढ़ें “ अउजु बिल्लाहि मिनश शयता निर रजीम “और “ बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम “
5. इसके बाद “ सूरह फातिहा “ ( अलहम्दु शरीफ ) पढ़ें और कोई सूरत पढने के बाद फिर 10 बार ये तस्बीह पढेंगे
6. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रुकू करेंगे
रुकू में तीन बार पहले “ सुब हान रबबियल अज़ीम ” पढेंगे
उसके बाद रुकू में ही 10 बार इस तस्बीह को पढना है
7. फिर “समिअल लाहू लिमन हमिदह” कह कर सीधे खड़े हो जायेंगे
और खड़े खड़े ही 10 बार पढेंगे
8. फिर अल्लाहु अकबर कहकर सीधे सजदे में चले जायेंगे
और सजदे में “ सुबहाना रबबियल आला “ तीन बार पढने के बाद 10 बार फिर पढेंगे
9. फिर पहले सजदे के बाद बैठ जाएँ और 10 बार पढ़ें
10. इसी तरह दुसरे सजदे में जाएँ और “ सुबहाना रबबियल आला “ पढने के बाद 10 बार पढ़ें
11. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएँ
ये एक रकात हो गयी और इस में 75 बार इस तस्बीह पढ़ा गया
दूसरी रकात
अब दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ और उसी तरतीब से पढ़ें जैसे आपने पहली रकात में पढ़ा है और हर रकात में पहली रकात की तरह 75 बार तस्बीह पढ़ी जाएगी | तो जब हर रकात में 75 बार पढेंगे तो 4 रकात में ये तस्बीह 300 बार हो जाएगी |
एक मसअला
लोगों का सवाल होता है कि जब हम दूसरी और चौथी रकात में तशह्हुद ( अत तहिययात पढने के लिए बैठते है ) तो क्या उस वक़्त भी तस्बीह पढेंगे
तो जवाब है कि जब आप दूसरी रकात में अत तहिययात पढेंगे तो तस्बीह न पढ़ें सीधे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ
और चौथी रकात में भी अत तहिययात ,दुरूद शरीफ और दुआ पढ़ कर सलाम फेर देंगे तस्बीह न पढ़ें
क्यूंकि आप का अस्ल मकसद हर रकात में 75 बार पढना है तो दूसरी और चौथी रकात में बैठने से पहले 75 बार तस्बीह आप पढ़ चुके होंगे |
कौन सी सूरतें सलातुत तस्बीह में पढ़ें ?
सलातुत तस्बीह की चारों रकात में कोई सूरत ख़ास नहीं की गयी है जो सूरत याद हो पढ़ सकते हैं लेकिन कुछ सूरतें हज़रत अब्बास र.अ. से नकल की गयी हैं वो ये हैं
पहली रकात में ” अल्हाकुमुत तकासुर ” दूसरी रकात में ” वल असर ” तीसरी रकात में ” कुल या अय्युहल काफिरून ” चौथी रकात में ” कुल हुवल लाहू अहद “
इस नमाज़ की फ़ज़ीलत को देखते हुए इसे रोजाना पढना चाहिए, ये न हो सके तो हर जुमे को पढना चाहिए, ये भी न हो सके तो महीने में एक बार पढना ले, वरना साल में एक बार पढना चाहिए, और ये भी न हो सके कम से कम ज़िन्दगी में एक बार ज़रूर पढ़ लेना चाहिए |
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