Surah Al-Abas In Hindi Translation | सूरह अबस हिन्दी तरजुमा और तशरीह

Surah Al-Abas In Hindi Translation

Surah Al-Abas In Hindi Translation |

सूरह अबस हिन्दी तरजुमा और तशरीह

सूरह अबस (Surah Al-Abas)कुरआन मजीद के 30वें पारे की 80वीं सूरत है, जिसमें 42 आयतें हैं। यह एक मक्की सूरत है, जो नबी-ए-करीम ﷺ के शुरुआती दावत के दौर में नाज़िल हुई। यह सूरत एक खास वाक़िया से जुड़ी हुई है, जिसमें हमें अल्लाह की रहमत और इंसाफ़ का बेहतरीन पैग़ाम मिलता है। यह सूरत हमें यह सिखाती है कि दीन की दावत में गरीब और अमीर के बीच किसी तरह का फर्क नहीं होना चाहिए। इसमें कुरआन की अजमत, इंसान की ग़फ़लत और कयामत के दिन का खौफनाक मंज़र बयान किया गया है।

तो आइये आज इस पोस्ट में हम सूरह अबस हिन्दी तरजुमा और तशरीह (Surah Al-Abas In Hindi Translation ) के तहत इसको समझेंगे, ताकि इस सूरत से मिलने वाली हिदायत हमारे दिलों में उतर जाए और हम अपने आमाल को इस्लामी तालीमात के मुताबिक़ बना सकें।

أَعُوْذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
1. عَبَسَ وَتَوَلّٰى

Hindi : अ-बसा व तवल्ला
Translation : उसने (पैग़म्बर) चेहरा बनाया और रुख मोड़ लिया

2. أَنْ جَاءَهُ الْأَعْمَى

Hindi : अन जा-अहुल अअ’मा।
Translation : इस वजह से कि एक अंधा शख्स उनके पास आ गया

3. وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّهُ يَزَّكّٰى

Hindi : वमा युदरीका लअल्लहु यज़्जक्का।
Translation : और तुम्हें क्या मालूम, शायद वह पाक-साफ (सुधर) हो जाता

4. أَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنْفَعَهُ الذِّكْرٰى

Hindi : अव यज़्ज़क करू फ़तन फ़अहुज़ ज़िकरा।
Translation : या नसीहत की बातें सुनता और नसीहत उसको फायदा देती

5. أَمَّا مَنِ اسْتَغْنٰى

Hindi : अम्मा मनिस्तग्ना।
Translation : जो शख्स लापरवाही बरतता है

6. فَأَنْتَ لَهُ تَصَدّٰى

Hindi : फ़अन्ता लहु तसद्दा।
Translation : उसकी तरफ़ तो आप मुतवज्जे होते हैं

7. وَمَا عَلَيْكَ أَلَّا يَزَّكّٰى

Hindi : वमा अलैका अल्ला यज़्जक्का।
Translation : हालांकि अगर वह न सुधरे, तो तुम पर उसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं

8. وَأَمَّا مَنْ جَاءَكَ يَسْعٰى

Hindi : व अम्मा मन जाअका यस्आ।
Translation : और जो शख्स तुम्हारे पास दौड़ता हुआ आया

9. وَهُوَ يَخْشٰى

Hindi : व हुआ यख्शा।
Translation : और वह (ख़ुदा का) खौफ़ भी रखता है

10. فَأَنْتَ عَنْهُ تَلَهّٰى

Hindi : फ़अन्त अन्हु तलह्हा।
Translation : तो उससे बे तवज्जोही बरतते हैं

11. كَلَّا إِنَّهَا تَذْكِرَةٌ

Hindi : कल्ला इन्नहा तज़्किरह।
Translation : हरगिज़ ऐसा न करें, ये (कुरआन) तो एक नसीहत की चीज़ है

12. فَمَنْ شَاءَ ذَكَرَهُ

Hindi : फमन शाअ ज़-करह।
Translation : तो जिसका जी चाहे, इस को क़बूल कर ले

13. فِي صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍ

Hindi : फी सुहुफिम मुकर रमह।
Translation : वो ऐसे सहीफ़ों में दर्ज है जो बड़े मुक़द्दस हैं

14. مَرْفُوعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ

Hindi : मरफूअतिम मुतह हरह।
Translation : जो ऊंचे रुतबे वाले और पाक-साफ हैं।)

15. بِأَيْدِي سَفَرَةٍ

Hindi : बिऐदी स-फरह।
Translation : ऐसे लिखने वालों के हाथों में हैं

16. كِرَامٍ بَرَرَةٍ

Hindi : किरामिम बररह।
Translation : जो ख़ुद बड़े इज्ज़त वाले और बहुत नेक हैं

17. قُتِلَ الْإِنسَانُ مَا أَكْفَرَهُ

Hindi : कुतिलल इंसानु मा अक्फरह।
Translation : ख़ुदा की मार हो ऐसे इन्सान पर, वो कितना नाशुक्रा है

18. مِنْ أَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهُ

Hindi : मिन अय्यि शैइन ख़लकह।
Translation : (ज़रा सोचे तो) अल्लाह ने उसे किस चीज़ से पैदा किया?

19. مِنْ نُطْفَةٍ خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ

Hindi : मिन नुत्फतिन ख़-लक़हू फ़-क़द्दरह।
Translation : मनी के क़तरे से अल्लाह ने उसे पैदा किया और फिर उसका ख़ास अन्दाज़ रखा

20. ثُمَّ السَّبِيلَ يَسَّرَهُ

Hindi : सुम्मस सबीला यस्सरह।
Translation : फिर उसके लिए रास्ता आसान किया

21. ثُمَّ أَمَاتَهُ فَأَقْبَرَهُ

Hindi : सुम्म अमातहू फ़अक़ बरह।
Translation : फिर उसे मौत दी और कब्र में पहुंचा दिया

22. ثُمَّ إِذَا شَاءَ أَنْشَرَهُ

Hindi : सुम्म इज़ा शाअ अनशरह।
Translation : फिर जब चाहेगा उसे दोबारा ज़िंदा कर देगा

23. كَلَّا لَمَّا يَقْضِ مَا أَمَرَهُ

Hindi : कल्ला लम्मा यक्दि मा अ-मरह।
Translation : हरगिज़ नहीं, अल्लाह ने इन्सान को जो हुक्म दिया है उसने अभी पूरा नहीं किया

24. فَلْيَنْظُرِ الْإِنسَانُ إِلَى طَعَامِهِ

Hindi : फल्यन ज़ुरिल इंसानु इला तआमिह।
Translation : तो इंसान अपने खाने को ही देख ले

25. أَنَّا صَبَبْنَا الْمَاءَ صَبًّا

Hindi : अन्ना सबब्नल माअ सब्बा।
Translation : कि हमने ऊपर से खूब पानी बरसाया

26. ثُمَّ شَقَقْنَا الْأَرْضَ شَقًّا

Hindi : सुम्म शक़क़नल अअरदा शक़्क़ा।
Translation : फिर हमने ही ज़मीन को अच्छी तरह फाड़ दिया

27. فَأَنْبَتْنَا فِيهَا حَبًّا

Hindi : फ़अम बत्ना फ़ीहा हब्बा।
Translation : फिर उसमें अनाज उगाया

28. وَعِنَبًا وَقَضْبًا

Hindi : व इनबव व क़द्बा।
Translation : और अंगूर और सब्ज़ियां

29. وَزَيْتُونًا وَنَخْلًا

Hindi : व ज़ैतूनौ व नख्ला।
Translation : और ज़ैतून और खजूर

30. وَحَدَائِقَ غُلْبًا

Hindi : व हदाइक़ा ग़ुल्बा।
Translation : और घने घने बाग़

31. وَفَاكِهَةً وَأَبًّا

Hindi : व फ़ाकिहतौ व अब्बा।
Translation : और मेवा और चारा उगा दिया

32. مَتَاعًا لَكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ

Hindi : मताअल लकुम व लिअन आमिकुम।
Translation : सब कुछ तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के फ़ायदे के लिए है

33. فَإِذَا جَاءَتِ الصَّاخَّةُ

Hindi : फ़इज़ा जाअतिस साख्खह।
Translation : फिर जब कान फाड़ने वाली आवाज़ आएगी

34. يَوْمَ يَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ أَخِيهِ

Hindi : यौमा यफिर्रुल मरउ मिन अख़ीह।
Translation : उस दिन आदमी अपने भाई से भागेगा

35. وَأُمِّهِ وَأَبِيهِ

Hindi : वउम मिही व अबीह
Translation : और अपनी मां और अपने बाप से

36. وَصَاحِبَتِهِ وَبَنِيهِ

Hindi : वसाहि-बतिही व बनीह
Translation : और अपनी बीवी और अपनी औलाद से

37. لِكُلِّ امْرِئٍ مِنْهُمْ يَوْمَئِذٍ شَأْنٌ يُغْنِيهِ

Hindi : लिकुल् लिम रिइम मिन्हुम यौम इज़िन शअ’नुय युग्नीह।
Translation : उस दिन हर शख्स को अपनी ऐसी फिक्र पड़ी होगी कि उसे दूसरों का होश नहीं होगा

38. وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ مُّسْفِرَةٌ

Hindi : वुजूहुय यौमइज़िम मुस्फिरह
Translation : कुछ चेहरे उस दिन चमक दमक रहे होंगे

39. ضَاحِكَةٌ مُّسْتَبْشِرَةٌ

Hindi : दाहिकतुम मुस्तब्शिरह
Translation : हंसते हुए और ख़ुशी मनाते हुए

40. وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ عَلَيْهَا غَبَرَةٌ

Hindi : व वुजूहुय यौम इज़िन अलैहा ग़बरह
Translation : और कुछ चेहरे उस दिन ऐसे होंगे कि उन पर खाक पड़ी होगी

41. تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ

Hindi : तरहक़ुहा क़-तरह
Translation : उन पर स्याही छाई होगी

42. أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡكَفَرَةُ ٱلۡفَجَرَةُ

Hindi : उलाइ-क हुमुल क-फ़रतुल फ़-जरह
Translation : ये वही लोग होंगे जो काफिर और बदकार थे

Surah Al-Abas In Hindi Translation | सूरह अबस हिन्दी तरजुमा और तशरीह

आयत न. 1-10 तफ्सीर: यह आयतें रसूलुल्लाह ﷺ के उस वाक़िये पर उतरती है जब आप मक्का के कुछ बड़े बड़े सरदारों को इस्लाम की दावत दे रहे थे। और उन से बातचीत में मश्गूल थे और उन लोगों से बात कुछ इस अन्दाज़ में चल रही थी कि आप स.अ. को लगा कि वो ईमान ले आएंगे कि इतने में एक अंधे सहाबी, हज़रत अब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम (रज़ि.), वहां आ गए और चूंकि वो नबीना थे इसलिए ये देख ना सके कि आप स.अ. किन के साथ गुफ़्तगू में मसरूफ हैं इसलिए उन्होंने आते ही कुछ सीखने की दरख्वास्त की हालाँकि अरबों का मामला ये था कि उनको अपने मक़ाम और मरतबे का बड़ा घमण्ड होता था तो उनके बीच में टोकने की वजह से वो लोग नाराज़ हुए और उठ खड़े हुए

तो नबी पाक स.अ. को उन का ये तरीक़ा पसन्द नहीं आया कि दूसरों की बात काटकर उन्होंने बीच में मुदाखलत कर दी और आप स.अ. ने सोचा कि अब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम मुखलिस सहाबी हैं ये कभी भी सवाल कर सकते थे और अगर अभी सवाल न करते तो मुमकिन है क़ुरैश के सरदारों को ईमान की तौफ़ीक़ मिल जाती इसलिए आप स.अ. को ये चीज़ ना गवार लगी तो आप स.अ. ने उनकी बात का जवाब देने के बजाये उन काफ़िरों के साथ बातचीत जारी रखी

जब वो लोग चले गए तब ये सूरह नाज़िल हुई जिसमें अल्लाह तआला ने नबी करीम स.अ. के इस रवय्ये को नापसन्द फ़रमाया और यह तालीम दी कि जो शख्स दिल में हक़ और सच बात की तलब रखता है और अपनी इस्लाह करना चाहता है वो ज़्यादा हक़दार है इस बात का कि उसको वक़्त दिया जाये | इसका उल्टा जिन लोगों के दिल में हक़ की तलब ही नहीं और ना ही सुधरना चाहते हैं तो हक़ वालों से मुंह मोड़ कर उन पर ध्यान देने की ज़रुरत नहीं है

और इसमें मुसलमानों के लिए सबक है कि किसी मुसलमान को उसकी ग़रीबी, ऐशो आराम की कमी और माज़ूर होने की वजह से हक़ीर नहीं समझना चाहिए ख़ुश अख्लाक़ी सब के साथ हो लेकिन इज्ज़त व एहतेराम उसी को ज़ेब देता है जो अल्लाह का खौफ़ रखता हो और और दीन पर अमल करता हो

आयत न. 11 से16. तफ्सीर : यह आयत कुरआन की अज़मत और उसकी बाबरकत सहीफों का ज़िक्र करती है। यह बताती है कि कुरआन नसीहत है और फरिश्तों के हाथों में पाक-साफ सहीफों में लिखा गया है। फरिश्ते नेक, शरीफ़, और अल्लाह के हुक्म की तामील करने वाले हैं।

आयत न. 17 से 23. तफ्सीर : यह आयतें इंसान की नाशुक्री और घमंड को बताती हैं। अल्लाह ने इंसान की तख्लीक़ का ज़िक्र किया उसकी हक़ीक़त बताई और बताया कि इंसान अल्लाह के हुक्मों को पूरा करने में नाकाम रहता है।

आयत न. 24-32. तफ्सीर : अल्लाह इंसान को उसकी रोज़मर्रा की नेमतों की तरफ तवज्जो दिलाते हैं, जैसे बारिश, ज़मीन की पैदावार, और खाने-पीने की चीज़ें। इंसान को सोचना चाहिए कि यह सब अल्लाह ने उसकी भलाई के लिए बनाया।

आयत न. 33 : तफ्सीर: इसका मतलब जब दूसरा सूर फूँका जायेगा

आयत न. 34 से 42 तफ्सीर : यानि हर शख्स को अपनी पड़ी होगी किसी को दुसरे की तरफ़ तवज्जो का मौक़ा ही नहीं मिलेगा, हज़रत आयशा र.अ. से रिवायत है कि अल्लाह तआला ने रसूलुल लाह स.अ. से फ़रमाया : क़यामत के दिन सब लोग इस तरह जमा होंगे कि सब के सब नंगे पाँव और नंगे बदन होंगे तो हज़रत एषा ने पुछा : क्या एक की दुसरे की तरफ़ नज़र नहीं पड़ेगी, मर्द औरत एक दुसरे को देखेंगे नहीं ? तो आप स.अ. ने फ़रमाया उस दिन मामला इतना सख्त होगा कि किसी को दुसरे की तरफ़ देखने का ख्याल भी नहीं होगा

यह आख़िरत का मंज़र है जब इंसान अपने रिश्तेदारों से भी दूर भागेगा। कुछ चेहरे रौशन होंगे, और कुछ गर्द और स्याही से ढके होंगे। ये चेहरे काफिरों और गुनहगारों के होंगे, जिनका अंजाम जहन्नम होगा।

इससे हमें क्या सबक़ मिला ?

यह तफ्सीर हमें यह सबक देती है कि हमें अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करना चाहिए, अपनी आत्मा को पाक-साफ बनाना चाहिए, और आख़िरत के दिन की तैयारी करनी चाहिए।

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