Surah Al Adiyat Translation Hindi
सूरह आदियात का तर्जुमा व तफ़सीर
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
1. वल आदियाति ज़ब्हा
2. फ़ल मूरियाति क़दहा
3. फ़ल मुगीराति सुबहा
4. फ़ असरना बिही नक़आ
5. फ़ वसतना बिही जमआ
6. इन्नल इंसान लिरब्बिही ल कनूद
7. व इन्नहू अला ज़ालिका लशहीद
8. व इन्नहू लिहुब्बिल खैरि लशदीद
9. अफ़ला यअलमु इज़ा बुआ सिरा माफ़िल क़ुबूर
10. व हुस्सिला माफिस सुदूर
11. इन्न रब्बहुम बिहिम यौमइज़िल ल ख़बीर
Surah Al Adiyat Translation Hindi
1. क़सम है उन घोड़ों की जो हांप हांप कर दौड़ते हैं
2. फिर (अपनी टापों से) चिंगारियां उड़ाते हैं
3. फिर सुबह के वक़्त यलगार करते हैं
4. फिर उससे गर्दो गुबार उड़ाते हैं
5. फिर (दुश्मन की) फ़ौज में जा घुसते हैं
6. कि यक़ीनन इंसान अपने परवरदिगार का बड़ा न शुकरा है
7. और वो खुद भी इस पर गवाह है
8. और इस में शुबहा नहीं कि वो माल से बड़ी मुहब्बत रखता है
9. क्या उसे मालूम नहीं कि जो मुर्दे क़ब्रों में हैं वो जिंदा किये जायेंगे
10. और जो कुछ उन के दिलों में है, वो सब ज़ाहिर कर दिया जायेगा
11. यक़ीनन उनका परवरदिगार उस दिन उन के हाल से खूब वाकिफ होगा
Al Adiyat Tafseer Hindi
अल्लाह तआला ने शुरू आयतों में घोड़ों की क़सम खायी है, घोड़ों को हमेशा एक अहम् और पसंदीदा जानवर की हय्सियत हासिल रही है, जब तक गाड़ियाँ इजाद नहीं हुई थीं, घोड़ों को ही सब से तेज़ रफ़्तार गाड़ी का दरजा हासिल था और ख़ास तौर पर ये जंग के काम आता था, मुसलमानों के लिए इस की अहमियत इस लिए भी थी कि जिहाद एक इबादत है और ज़रुरत के वक़्त फ़र्ज़ भी है और उस ज़माने में घोड़ा इस के लिए बहुत बेहतरीन वसीला था |
इस सूरह में घोड़े की पांच खूबियाँ बयान की गयी हैं
पहली ये कि वो हांप हांप कर चलते हैं दूसरी ये कि वो जब चलते हैं तो अपनी टापों से आग झाड़ते हुए निकलते हैं, इस से मकसद घोड़े की तेज़ रफ्तारी को बताना है, तीसरी खूबी ये कि वो सुबह के वक़्त यलगार करते हैं, अरबों का तरीक़ा ये था कि वो सुबह सुबह हमला करते थे |
गर्दो गुबार उड़ाने का मतलब तेज़ रफ़तारी, और फ़ौज में जा घुसने से इस बात की तरफ इशारा है कि ये जिहाद के लिए बहुत मुफीद जरिया है जो अपनी जान की परवाह किये बगैर दुश्मनों की सफों में घुस जाता है |
इन कसमों के बाद अल्लाह त आला ने जिस बात को बताया है वो दो हैं और दोनों इंसान की कमजोरियां हैं
नाशुकरी
यहां तक कि इंसान अपने परवरदिगार की भी नाशुकरी करता है यानि वो अल्लाह की दी हुई नेअमतों से खूब फ़ायदा उठाता है और उस के अहकाम पर अमल नहीं करता |
माल की मुहब्बत
माल बुरी चीज़ नहीं है चुनांचे अल्लाह तआला ने यहाँ माल के लफ्ज़ को खैर से ताबीर किया है खैर के असल मानी अच्छे और भली चीज़ के हैं
माल अपनी ज़ात के ऐतबार से कोई बुरी चीज़ नहीं है क्यूंकि इस के ज़रिये अल्लाह के बन्दों के बहुत से हुक़ूक़ अदा किये जाते हैं लेकिन माल की मुहब्बत ग़ालिब आ जाये ये कोई अच्छी बात नहीं है, ये माल की हद से ज्यादा बढ़ी हुई मुहब्बत ही तो है कि इंसान को चोर, लुटेरा, ज़ालिम और ऐश परस्त बना देती है जैसे कश्ती पानी में चले तो भलाई है लेकिन पानी कश्ती में दाखिल हो जाये तो तबाही है
नाशुकरी और माल की मुहब्बत से बचने का रास्ता
नाशुकरी और माल की मुहब्बत से बचने का एक ही रास्ता है और वो ये है कि इंसान को अपनी आख़िरत याद रहे इसी लिए आखिरी तीन आयतों में इस का ज़िक्र फरमाया गया है |
आयत न. 10 का मतलब है कि अगरचे अल्लाह तआला अपने बन्दों के हाल से बाखबर हैं लेकिन उस दिन अल्लाह तआला खुद बन्दों के ज़रिये उस के हॉल से वाकिफ होंगे, जिस्म का एक एक हिस्सा अपनी कहानी सुनाएगा कि इस को किन कामों के लिए इस्तेमाल किया गया, और ज़मीन का एक एक इंच गवाही देगा कि उस पर कौन कौन से अच्छे और बुरे आमाल किये गए |
कुरान के पैग़ाम को समझें और दूसरों के साथ शेयर करें
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