Surah Al-Balad Hindi Translation
सूरह अल-बलद हिन्दी तर्जुमे के साथ
ला उक्सिमु बिहाज़ल बलद
मैं क़सम खाता हूँ इस शहर ( मक्का ) की
व अंत हिल्लुम बिहाज़ल बलद
कि आप ( हज़रत मुहम्मद सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ) इसी शहर में रहते हैं
व वालिदिव वमा वलद
और क़सम है वालिद और उसकी औलाद की
लक़द खलक्नल इन्सान फ़ी कबद
यक़ीनन इन्सान को हम ने मशक्क़त में डाल कर पैदा किया है
अयह सबु अल लैय यक्दिरा अलैहि अहद
वो क्या समझता है कि उस पर किसी का बस न चलेगा
यक़ूलु अहलकतु मालल लु बदा
वो कहता है : मैंने ढेरों माल ख़र्च कर डाला है
अयह्सबू अल लम य रहू अहद
वो क्या समझता है कि उसको किसी ने देखा नहीं
अलम नज अल लहू ऐनैन
क्या हम ने उसको दो आँखें
व लिसानव व शफतैन
एक ज़ुबान और दो होंट नहीं दिए
व हदैनाहून नज्दैन
और हमने उसको दोनों (खैरो शर) के रास्ते दिखा दिए
फलक तहमल अ क़बह
मगर उस से ये न हो सका कि घाटी में दाख़िल हो
वमा अद राका मल अ क़बह
और आपको मालूम है कि घाटी क्या है
फक्कु र क़बह
किसी की गर्दन (गुलामी से) छुड़ाना
अव इत आमून फ़ी यौमिन ज़ी मस्गबह
या भूक के दिनों में खाना खिलाना
यतीमन ज़ा मक़ रबह
ऐसे यतीम को जो रिश्तेदार भी है
अव मिस्कीनन ज़ा मतरबह
या ऐसे मिस्कीन को जो धुल में अटा हुआ हो
सुम्मा कान मिनल लज़ीना आमनू व वतवा सौ बिस सबरि व तवा सौ बिल मर हमह
फिर वो उन लोगों में शामिल हुआ जो ईमान लाये हैं, और जिन्होंने एक दुसरे को साबित क़दमी की ताकीद की है और एक दुसरे को रहम खाने की ताकीद की है
उलाइका अस हाबुल मैमनह
यही वो लोग हैं जो दाहिनी तरफ वाले (बड़े नसीबे वाले) हैं
वल लज़ीना कफरू बि आयातिना हुम असहाबुल मश अमह
और जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया वो दाहिनी तरफ़ वाले (नहूसत वाले लोग) हैं
अलैहिम नारुम मुअ सदह
उन पर ऐसी आग मुसल्लत की जाएगी जो उन पर बंद कर दी जाएगी
Surah Balad Hindi Tafseer
ये सूरह कब नाज़िल हुई ?
ये सूरह मक्का मुकर्रमा में नाज़िल हुई जब हज़रत मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) वहां मौजूद थे और ईमान वाले बड़ी मशक्क़त और मुश्किल के साथ ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे
आयत न. 1 से 3 : अल्लाह तआला ने इन आयतों में शहर यानि मक्का मुकर्रमा की क़सम खायी है और वालिद व औलाद की क़सम खायी है जिस में वालिद का मतलब हज़रत आदम (अलैहिस सलाम) और औलाद का मतलब तमाम इन्सान
आयत न. 4 से 5 : क़सम खाने के बाद फ़रमाया कि इन्सान को अपनी ज़िन्दगी में तकलीफों और मश्क्क़तों को बर्दाश्त करना ही पड़ता है कमाने की दुशवारियां, हादसे और बीमारियाँ, फिर आख़िर में मौत की तकलीफ़ से गुज़ारना होता है, लेकिन फिर भी उसकी ग़लतफ़हमी का ये हाल है कि वो समझता है कि उस पर किसी का ज़ोर नहीं चलेगा, वो आज़ाद है और अल्लाह की क़ुदरत से बाहर है |
आयत न. 6 : मक्का में कुछ काफिर ऐसे थे जो आपस में दिखावे के तौर पर कहते थे कि हमने ढेर सारी दौलत ख़र्च कर रखी है और ये उस दौलत के बारे में कहते थे जो उन्होंने नबी मुहम्मद स.अ. कि मुखालिफ़त में ख़र्च की थी |
आयत न. 7 : जो कुछ ख़र्च किया दिखावे के लिए किया फिर उस पर फ़ख्र कैसा ? क्या अल्लाह त आला देख नहीं रहे थे कि दौलत किस मक़सद के लिए ख़र्च कर रहा है
आयत न. 8 और 9 : बड़ी ताक़त वाले घमंड से कहते थे कि क्या हमारा कोई कुछ बिगाड़ सकता है बल्कि अल्लाह त आला तआला फरमाते है कि जिस ने आँखें होंट दिए क्या वो ख़ुद नहीं देखेगा |
आयत न. 10 : इन्सान को अल्लाह ने नेकी और बदी दोनों रास्ते दिखाए हैं और इख्तियार दिया है कि अपनी मर्ज़ी से जो चाहो पसंद कर सकते हो लेकिन बदी का रास्ता चुनोगे तो सज़ा मिलकर रहेगी |
आयत न. 11 : घाटी दो पहाड़ों के दरमियान रास्ते को कहते हैं और ऐसे रास्ते को आम तौर पर जंग के दौरान दुश्मन से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और यहाँ घाटी में दाखिल होने का मतलब सवाब के काम करना है, उन को घाटी में दाखिल होना इसलिए कहा गया है कि ये इन्सान को अल्लाह तआला के अज़ाब से बचाने में मदद करते हैं
आयत न. 12 से 16 : फिर घाटी का मतलब बताया जा रहा कि घाटी क्या है यानि वो तरीक़ा क्या है जो अल्लाह के अज़ाब से बचने में मदद करते हैं (1) गर्दनों को छुड़ाना यानि गुलाम आज़ाद कराना इस में मुसलमान और ग़ैर मुसलमान दोनों शामिल हैं, आज कल बेक़ुसूर क़ैदियों को रिहा कराना कराना भी इसमें शामिल है (2) रिश्तेदार यतीम और भूके को खाना खिलाना, किसी यतीम की ज़रुरत पूरी करना वैसे ही अफज़ल काम है, और अगर वो रिश्तेदार हो तो उसके साथ हुस्ने सुलूक और भी ज़्यादा ज़रूरी है (3) ऐसा ग़रीब शख्स जो धुल और मिटटी में अटा हो का मतलब है कि वो इतना ग़रीब हो कि उसके पास रहने के लिए घर तक न हो उसकी मदद करना
जिस ने ऐसा किया वो घाटी में दाखिल हो गया यानि अल्लाह के अज़ाब से बच गया
आयत न. 17 : ग़रीबों के साथ अच्छा सुलूक आख़िरत में तभी बचा सकेगा जब तू ईमान आये और एक दुसरे को सब्र करने और शफ़क़त करने की तलकीन करे
आयत न. 18 : दाहिनी तरफ वालों का मतलब जन्नत वाले हैं और वो लोग हैं जिनका आमालनामा दायें हाथ में दिया जायेगा
आयत न. 19 : बाएं तरफ वाले का मतलब दोज़खी हैं जिनका आमालनामा बाएं हाथ में दिया जायेगा
आयत न. 20 : यानि उन्हें दोज़ख़ में झोंक कर दरवाज़ा बंद कर दिया जायेगा
अल्लाह हम सबकी हिफ़ाज़त फरमाए
देखें : आसान तर्जुमा व आसान तफ़सीर