Surah Inna Anzalna ( Surah Qadr ) Translation Hindi
सूरह इन्ना अन्ज़लना (सूरह क़द्र) का तर्जुमा
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
1. इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैलतिल कद्र
2. वमा अदरा कमा लैलतुल कद्र
3. लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र
4. तनज़ ज़लूल मला इकतु वररूहु फ़ीहा बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र
5. सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र
Surah Qadr (Inna Anzalna) Translation
1. हम ने कुरान को शबे क़द्र में उतारा है
2. और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
3. शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
4. जिस में फ़रिश्ते रूहुल क़ुदुस (जिबरईल अलैहिस सलाम) अपने रब की इजाज़त से हर हुक्म को लेकर उतरते हैं
5. ये रात सरापा सलामती है, जो सुबह होने तक रहती है
Surah Qadr (Inna Anzalna) Ki Tashreeh
रसूल स.अ. ने सहाबा र.अ. से बनी इसराइल के कुछ लोगों की बहुत लम्बी उम्र तक इबादत करने का ज़िक्र किया तो सहाबा को ख़याल हुआ कि उनकी उम्रें ज़्यादा लम्बी होती थीं इसलिए उन्होंने ज़्यादा दिनों तक इबादत की, हमारी उम्रें इतनी नहीं होती हैं इसलिए हम लोग इससे महरूम हैं तब ये सूरह नाजिल हुई और इसमें बताया गया कि इस उम्मत को ऐसी रात दी गयी है जिस में इबादत करने का सवाब आम हज़ार महीनों की इबादत से ज़्यादा है
कुरान शबे क़द्र उतरा है : इसका एक मतलब तो ये है कि पूरा क़ुरान लौहे महफ़ूज़ में इसी रात में उतारा गया, फिर हज़रत जिब्रइल अ.स. उसे ज़रुरत के बक़द्र थोड़ा थोड़ा करके 23 साल तक नबी स.अ पर नाज़िल करते रहे और दूसरा मतलब ये है कि क़ुराने करीम सब से पहले शबे क़द्र में नाज़िल होना शुरू हुआ |
शबे क़द्र क्या है
शबे क़द्र रमज़ान की आख़िरी अशरे की ताक़ रातों में से किसी एक रात में होती है यानी 21, 23, 25, 27, या 29 वीं रात में
फ़रिश्तों के उतरने का मतलब : इस रात में फ़रिश्ते भी आसमान से ज़मीन पर उतरते हैं और फरिश्तों के उतरने के दो मक़सद होते हैं एक ये कि इस रात में जो लोग इबादत में लगे हुए हैं तो फ़रिश्ते उनके हक में रहमत की दुआ करते हैं और दूसरा मक़सद आयते करीमा में ये बताया गया है कि अल्लाह तआला इस रात में साल भर के फैसले फरिश्तों के हवाले फरमा देते हैं, ताकि वो लोग अपने अपने वक़्त पर उन कामों को करते रहें
कौन से काम लेकर फ़रिश्ते उतरते हैं
बस एक मिसाल से समझिये कि एक बजट पास होता है कि पूरे साल क्या होने वाला है वो सरे काम तय कर दिए जाते हैं और फरिश्तों के हवाले कर दिए जताए हैं
“रूह” का क्या मतलब है
अक्सर उलमा की राये है कि यहाँ हज़रत जिब्राइल अ.स. मुराद हैं जो इस रात में उतरते हैं
ये रात सरापा सलामती है : इसका मतलब है कि इस पूरी की पूरी रात में खैरो सलामती है यानि इस रात के जिस लम्हे में भी कोई इबादत करेगा, इंशाअल्लाह इस की फ़ज़ीलत को हासिल कर लेगा, यहांतक कि सिर्फ़ मगरिब और ईशा की नमाज़ भी जमात से पढ़ ले, तब भी शबे क़द्र का अपना हिस्सा ज़रूर पायेगा और फिर इस रात की सलामती सुबह होने तक रहती है |
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Reference : आसान तफसीर