वज़ीफ़ा और ज़िक्र किसे कहते हैं और दोनों में क्या फर्क है

वज़ीफ़ा किसे कहते हैं 

वज़ीफ़े का मतलब पढ़ने वाला अमल होता है जिस अमल को पढ़ कर दुआ की जाये उसे वज़ीफ़ा कहते है

 

ये वज़ीफ़ा कोई भी कलाम हो सकता है जैसे क़ुरआन, हदीस,असमाउल हुस्ना (अल्लाह के 99 नाम) आसमां  उन नबी (नबी के 99 नाम) दुरूद शरीफ, दुआएं वग़ैरह

 

क़ुरानी वज़ीफ़ा किसे कहते है

वो वज़ीफ़ा जिस में क़ुरानी आयत या सूरत हों कुरानी वजीफा कहलाता है

नूरानी वज़ीफ़ा किसे कहते है

अगर क़ुरानी कलाम के अलावा हदीस,असमाउल हुस्ना (अल्लाह के 99 नाम) आसमां उन नबी (नबी के 99 नाम) दुरूद शरीफ, दुआएं वग़ैरह पढ़ी जाएँ तो उस को नूरानी वज़ीफ़ा कह सकते है क़ुरानी नहीं

वज़ीफ़ा और ज़िक्र में फ़र्क़

वज़ीफ़ा : इस में पढ़ने वाले का कोई दुनयावी मक़सद होता है

 

ज़िक्र : इस में पढ़ने वाले का मक़सद सिर्फ अल्लाह की ख़ुशी,अपनी आख़िरत,और सवाब,या पीर के बताये हुए कोई ज़िक्र पढ़े तो उसको ज़िक्र कहते है वज़ीफ़ा नहीं

 

दोनों में सिर्फ नियत का फ़र्क़ है वो ये कि वज़ीफ़े पढने में कोई दुनयावी मक़सद होता है और ज़िक्र में सिर्फ अल्लाह कि रिज़ा मक़सूद होती है दोनों को पढ़ा जाता है दोनों को दम नहीं किया जाता दोनों को पढ़ कर दुआ की जाती है

 

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