Who Prayed Namaz First | सब से पहले कौन सी नमाज़ किसने अदा की
सब से पहले फज्र की नमाज़ हज़रत आदम अलैहिस सलाम ने अदा की
हम फज्र की नमाज़ में दो रकात फ़र्ज़ पढ़ते है उसकी हिकमत ये है कि जब हज़रत आदम अलैहिस सलाम को अल्लाह ने दुनिया में उतारा तो उस वक़्त दुनिया में रात छायी हुई थी हज़रत आदम अलैहिस सलाम जन्नत की रौशनी से निकल कर दुनिया की इस तारीक और अँधेरी रात में दुनिया में तशरीफ़ लाये उस वक़्त हाथ को हाथ सुझाई नहीं देता था हज़रत आदम अलैहिस सलाम को परेशानी हुई कि ये दुनिया इतनी तारीक है यहाँ ज़िन्दगी कैसे गुजरेगी हर तरफ अँधेरा ही अँधेरा है चुनांचे खौफ महसूस होने लगा
लेकिन धीरे धीरे रौशनी होने लगी सुबह का नूर चमकने लगा सुबह सादिक ज़ाहिर हुई तो हज़रत आदम अलैहिस सलाम की जान में जान आयी उस वक़्त हज़रत आदम अलैहिस सलाम ने दो रकातें शुक्राने के तौर पर अदा फरमाई
एक रकात रात की तारीकी जाने के शुक्राने के तौर पर
और दूसरी रकात दिन निकलने के शुक्राने के तौर पर अदा फरमाई
ये दो रकाते अल्लाह को इतनी पसंद आयी कि इनको हुज़ूर सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम की उम्मत पर फ़र्ज़ फरमा दिया
सब से पहले जुहर की नमाज़ हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम ने अदा की
हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम ने जुहर की चार रकाते उस वक़्त अदा फरमाई जब वह अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस सलाम को ज़बह करने के इम्तिहान में कामयाब हो गए थे
पहली रकात तो इस इम्तिहान में कामयाबी के शुक्राने के तौर पर अदा की
दूसरी रकात इस बात के शुक्राने में कि अल्लाह ने हज़रत इस्माईल अलैहिस सलाम के बदले जन्नत से एक मेंढा उतार दिया क्यूंकि ये भी अल्लाह का एक इनाम था
तीसरी रकात इस शुक्राने में कि अल्लाह ने उसवक्त सीधे हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम से खिताब किया “ऐ इब्राहीम बेशक तुमने अपना ख्वाब सच कर दिखाया और हम नेको कारों को अच्छा बदला दिया करते है”
चौथी रकात इस बात के शुक्राने में कि अल्लाह ने उन्हें बहुत सब्र करने वाला बेटा अता किया जो इस सख्त इम्तिहान के वक़्त सब्र का पहाड़ बन गया नहीं तो अल्लाह का हुक्म पूरा करना दुश्वार हो जाता
सब से पहले असर की नमाज़ हज़रत युनुस अलैहिस सलाम ने अदा की
हज़रत युनुस अलैहिस सलाम जब मछली के पेट में थे उस वक़्त उन्होंने अल्लाह को पुकारा और दुआ की तो जब अल्लाह ने उनको मछली के पेट से बाहर निकाला तब उन्होंने चार रकाते शुक्राने के तौर पर अदा की
इसलिए कि अल्लाह ने उनको चार तारीकियों (अंधेरों) से नजात दी थी
एक मछली के पेट की तारीकी से
दुसरे पानी की तारीकी से
तीसरे बादल की तारीकी से
चौथे रात की तारीकी से
सब से पहले मग़रिब की नमाज़ हज़रत दाऊद अलैहिस सलाम ने अदा की थी
हज़रत दाऊद अलैहिस सलाम की किसी चूक के बाद अल्लाह ने उनकी बख्शिश का ऐलान फरमा दिया तो उस वक़्त हज़रत दाऊद अलैहिस सलाम ने अपनी बखशिश के शुक्राने के तौर पर चार रकात नमाज़ की नियत बाँधी लेकिन जब तीन रकात अदा की तब हज़रत दाऊद अलैहिस सलाम पर अपनी चूक का ऐसा अहसास हुआ कि आप पर बे साख्ता गिरया तारी हो गया जिसकी वजह से चौथी रकात अदा न कर सके चुनांचे तीन रकात पर ही इक्तिफा फ़रमाया
इशा की नमाज़ सब से पहले हज़रत मूसा अलैहिस सलाम ने अदा की थी
जब हज़रत शुएब अलैहिस सलाम के पास दस साल रहने के बाद अपने अहलो अयाल के साथ मिस्र वापस आ रहे थे आपको चार परेशानियाँ लाहिक थी कि
इतना लम्बा सफ़र कैसे तय होगा
दुसरे अपने भाई हज़रत हारुन की फ़िक्र थी
तीसरे फिरअवन जो आपका जानी दुश्मन था उसका खौफ
और चौथे आपके अहलिया उम्मीद से थी और विलादत का वक़्त करीब था और जबकि सफ़र बहुत लम्बा था
आप अपने अहलो अयाल को रोक कर कोहे तूर की तरफ गए तो अल्लाह से हम कलाम होने का शरफ हासिल हुआ और जब ये इनाम हासिल हुआ तो चारों परेशानियों का खत्म हो गया और इन्ही चारों परेशानियों कि नजात के शुक्राने में हज़रत मूसा अलैहिस सलाम ने चार रकात अदा की |
Assalamualaikum Warahmatullahi Wabarakatuhu,,,,
Aap ne ye jo paanch waqto ki Namaaz ke bare mein likha hai kya please isko copy paste kr ke mujhe email pr de sakte hai please .
Kyonki Yahan pt copy paste nahi ho pa rha hai please jitni jaldi ho sake please de dijiye
Allah hafiz