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Facts About Hazrat Umar R.A. | 14 हकीक़तें हज़रत उमर इब्ने ख़त्ताब के बारे में

Facts About Hazrat Umar

14 हकीक़तें हज़रत उमर इब्ने ख़त्ताब के बारे में

उमर इब्ने खत्ताब (र.अ.) इस्लाम की एक ऐसी अज़ीम शख्सियत हैं, जो पैगंबर मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) के मशहूर सहाबी हैं, जिन्होंने इन्साफ, रहम और बहादुरी की कई मिसालें क़ायम कीं !

1. जब उमर इब्ने खत्ताब (र.अ.) नौजवान थे, तो वह एक ज़बरदस्त पहलवान और बहादुरी की मिसाल थे

जबले अराफ़ात के पास एक जगह थी, जहाँ मेला हर साल सिर्फ इस वजह से लगता था कि अरब के तमाम फ़नकार अपना फ़न और कमाल यहाँ आकर दिखाएँ, और वहां सिर्फ वही लोग आ सकते थे जो किसी चीज़ में कमाल रखते थे, हज़रत उमर र.अ. को कुश्ती में महारत थी इसलिए वो वहां कुश्ती लड़ा करते थे, और इतने माहिर घुड़सवार थे कि उछल कर घोड़े पर सवार होते थे |

2. उनकी बहन और उनके बहनोई ने उनसे पहले इस्लाम क़ुबूल कर लिया था ।

जब इस्लाम का मक्का में बोलबाला हुआ तो हज़रत उमर के बहन और बहनोई उन से पहले इस्लाम ला चुके थे | और वही लोग उनको इस्लाम में दाखिल होने का ज़रिया बने |

3. उन्होंने पैग़म्बर मुहम्मद स.अ. को क़त्ल करने का इरादा किया था

वो मुहम्मद स.अ. को क़त्ल करने के लिए निकले थे लेकिन रास्ते में पता चला कि उनके बहन और बहनोई ने इस्लाम क़ुबूल कर लिया है, तो वो उनके घर पहुंचे और उनपर बहुत गुस्सा हुए, लेकिन जब बहन और बहनोई ने सूरह ताहा की आयतों को दिखाया तो उन्होंने इस्लाम क़ुबूल कर लिया |

4. प्यारे नबी मुहम्मद (स.अ.) उम्र में उनसे 10 साल बड़े थे

5. पहली बार काबे में मुसलमानों ने जमात के साथ नमाज़ अदा की

हज़रत उमर (र.अ.) जब मुस्लमान हुए तो इस्लाम के एक नए दौर की शुरुआत हुई उन्होंने खुल्लम खुल्ला अपने इस्लाम का ऐलान किया, और वो पहले शख्स थे जिन्होंने प्यारे पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) को मक्का में खुले आम नमाज़ पढ़ने के लिए आमादा किया, क्यूंकि उस वक़्त तक मुस्लमान छुप छुप के नमाज़ पढ़ते थे |

6. वह इस्लाम के दूसरे खलीफा था

अल्लाह के नबी स.अ. की वफ़ात के बाद हज़रत अबू बक्र पहले ख़लीफ़ा बने फिर दुसरे खलीफ़ा हज़रत उमर बने |

7. अल-फारूक का टाइटल हज़रत उमर र.अ. को मिला 

अल-फारूक का टाइटल उन्हें हमारे पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) ने दिया था जिसका मतलब है हक़ और बातिल के बीच फ़र्क करने वाला इसके बाद से उन्हें उमर फ़ारूक़ कहा जाने लगा |

8. सब से पहले उन्होंने ही बैतूल माल (पब्लिक ट्रेजरी) कायम किया

बैतूल माल : जिसमें अमीर लोग ज़कात सदक़ा जमा करते थे या जो सरकारी रक़म होती थी उसको इसी में जमा किया जाता था फिर वो गरीबों या हकदारों में बाँट दिया जाता था ।

9. गुलामी का रिवाज कम किया

हज़रत उमर र.अ. अगरचे गुलामी को ख़त्म न कर सके लेकिन उन्होंने ऐसे तरीकों को रिवाज दिया कि गुलामी गुलामी नहीं आज़ादी के बराबर हो गयी, और फिर धीरे धीरे गुलामों का दौर ख़त्म हो गया |

10. उनके दौर में, मुसलमानों ने सुपर पावर फारस ( Persian Ampire ) को हराया

11. उनकी हुकूमत के दौरान, मुसलमानों ने यरूशलेम को फ़तह कर लिया था

12. उन्होंने मुअज़्ज़िन, टीचरों और इमामों को अपने संस्थानों (इदारों) में तालीम के लिए तनख्वाह लेने की इजाज़त दी।

13. दुनिया में पहली बार, उन्होंने (र.अ.) अदालती सिस्टम क़ायम किया । इसके अलावा, नहरें, सड़कें, और आर्मी हेडक्वार्टर का निर्माण किया गया। साथ ही, उन्होंने पहला इस्लामी हिजरी कैलेंडर भी जारी किया।

14. उन्हें अबू लुलु फ़िरोज़ ने शहीद कर दिया था

जब वो नमाज़ की इमामत कर रहे थे तब उन्हें अबू लुलु फ़िरोज़ ने पीठ में कई बार छुरा घोंपा था, जिसके ज़ख्मों की ताब न लाकर वो इस दुनिया से हमेशा रहने वाली दुनिया की तरफ़ रवाना हो गए |

15. उन्हें पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) के बगल में दफनाया गया है।

अल्लाह हमें उनके नक्शे क़दम पर चलने की तौफ़ीक़ दे

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